होठों की नमीं से उमड़ता इज़हार
लफ़्ज़ों की पहेलियों में छिपा है इक़रार
पर कारे बादलों में क़ैद चाँद करे इंकार
बस इसी क़शमक़श में, जनाब, बरक़रार है प्यार
Husn-e-Haqiqi
— पुखी उर्फ़ पाखी
03rd July, 2020
Gluing cybersecurity with geopolitics
होठों की नमीं से उमड़ता इज़हार
लफ़्ज़ों की पहेलियों में छिपा है इक़रार
पर कारे बादलों में क़ैद चाँद करे इंकार
बस इसी क़शमक़श में, जनाब, बरक़रार है प्यार
Husn-e-Haqiqi
— पुखी उर्फ़ पाखी
03rd July, 2020